क्या सच में जिंदगी यही है,
सब कुछ तो है मगर फिर भी लगता है
जैसे कुछ भी नहीं है....!!
कहने को तो सारी दुनिया ही अपनी है पर
इस दुनिया में वो अपना कहा है...!!
रिश्ते भी बस रह गए है नाम के अब
वो पहले जैसे रहा ही कुछ कहा है...!!
रिश्ते उलझते जा रहे है
क्या कोई इनको सुलझाने वाला है...!!
जिंदगी में बस मुश्किल ही मुश्किल है
क्या उनका कोई हल होगा के नहीं...!!
सच झूठ का खेल खेला जाता है
क्या ये बंद होगा या नहीं...!!
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