तू हँसे तो दिया जले तेरे चेहरे से पर्दा हटे तो दिया जले
यूँ तो अब तक चला हूँ वैसे तन्हा मैं तू मेरा हाथ थाम कर चले तो दिया जले
हम बंज़ारों को घर क्या, मंज़िल क्या पर रहूँ तेरे साये तले तो दिया जले
ये तो इल्म है तुम्हें तुम जान हो मेरी तू कभी जान मुझे भी कहे तो दिया जले
दिन गुज़र जाएँगे मेरे काम में अक्सर
पर शाम साथ तेरे ढले तो दिया जले