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Saturday, October 15, 2022

आज़ाद


                         

अपने सुनहरे पल यूँ ना बर्बाद किया कर ये रात है पड़ाव सुबह याद किया कर,

अपनी ख़ुशी को दूसरों के हाथों में ना दे बहरी कचहरी में ना तू फरियाद किया कर,

पलकों पे कई ख़्वाब पनपने की ज़िद लिए आँखों में दे जगह यूँ ना नाशाद किया कर,

रिश्तों के नाम पर कई पाबंदियाँ लगीं तरकीब नयी रोज़ तु ईजाद किया कर,

ख़्वाहिश है उन की अपनी तमन्ना को भूल जा दो कौड़ी की रस्मों को ना आबाद किया कर,

खिड़की से झाँक कर ना आसमान मिलेगा बुलबुल को ऐसी क़ैद से आज़ाद किया कर.........

मुझे दिल में बसाना आसान नहीं....

पता है Recently i realised की मुझे दिल में बसाना आसान नहीं है बात-बात पे चिढ़ जाती हूं मैं दिल लगा लूं एक बार तो फिर ज़िद पे अड़...