अपने सुनहरे पल यूँ ना बर्बाद किया कर ये रात है पड़ाव सुबह याद किया कर,
अपनी ख़ुशी को दूसरों के हाथों में ना दे बहरी कचहरी में ना तू फरियाद किया कर,
पलकों पे कई ख़्वाब पनपने की ज़िद लिए आँखों में दे जगह यूँ ना नाशाद किया कर,
रिश्तों के नाम पर कई पाबंदियाँ लगीं तरकीब नयी रोज़ तु ईजाद किया कर,
ख़्वाहिश है उन की अपनी तमन्ना को भूल जा दो कौड़ी की रस्मों को ना आबाद किया कर,
खिड़की से झाँक कर ना आसमान मिलेगा बुलबुल को ऐसी क़ैद से आज़ाद किया कर.........