मिले खुदा, तो सवाल है मेरा,
खुशियां सभी को दे, क्या जाता है तेरा?
सबको दौलत दे देता,
जिसका फिर हिसाब न लेता ।
कोई चल नहीं सकता?
कोई लिख नहीं सकता?
कोई बोल नहीं सकता?
क्या ये देख नहीं सकता?
तुझे भी ये एहसास हो जाये,
कुछ दिन जो तू इंसान हो जाये।
कभी कभी शक ये करता हूँ,
मंदिरों में आखिर क्यों,
हाज़री मैं भरता हूँ?
तुझे एक खत जरूर पहुँचाता,
गर तेरा पता मुझे मिल जाता।
भूल गया है तू, ये बंदा है तेरा,
तू ए खुदा! तुझसे एक सवाल है मेरा......