इस गहरी नींद से जगा मुझे
चाँद सूरज का पता दे मुझे
मैं थक गयी हूँ चलते चलते
दिखा दे घर का रास्ता मुझे
चार दीवारें भी चुप हो गयीं
कोई ताज़ा ग़ज़ल सुना मुझे
मर गए ख़्वाब पुराने सारे
मिले अब जीने की दुआ मुझे
मय-कदा छोड़ के जाऊँ कहाँ
दे मोहब्बत का नशा मुझे
लड़खड़ा के ना मिलेगी मंजिल
तू ही अब दे आसरा मुझे
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