कभी कभी......
मैं मिलती नहीं खुद को भी
बहुत ढूंढने पर भी बहुत
तलाशने पर भी
तमाम कोशिशों के भी बाद,
फिर कहीं दूर
बहुत दूर इस दुनिया से बंद
कमरे के सिमटी हुई सी
" खुद के इंतज़ार में ....
एक कोने में दिख जाती हूँ
'हाँ कभी कभी..........!!!
पता है Recently i realised की मुझे दिल में बसाना आसान नहीं है बात-बात पे चिढ़ जाती हूं मैं दिल लगा लूं एक बार तो फिर ज़िद पे अड़...
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