सोचा था कि तुमसे मिलेंगे तो
करेंगे बेहिसाब बातें,
पालन करना
बतायेंगे तुम्हें कि कितना सोचते थे तुम्हें,
कैसे रहें हैं आजतक बिना तुम्हारे
क्यूँ हम हमेशा तुम्हारे सामने खामोश रहे
क्यूँ नहीं कहा तुमसे कुछ !
मगर जब तुम सामने आए
तो हम बस खो गए,
भूल गए कि क्या कहना था
कितना कुछ बताना था तुम्हें !
जितनी बार तुमने हमसे कहा
कि कुछ कहना चाहते हो ?
हम बस मुस्कुरा कर कहते रहे
"नहीं तो !".....
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