तो आज बात कुछ यूं कर लें
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें "
तेरे हिस्से में कितना तू आता है
मेरे हिस्से में कितना मैं
चल आज ये बात भी साफ कर लें
सवाल ये है तेरे हिस्से में जवाब ही क्यों
मेरे हिस्से में सवाल ही क्यों
तेरे हिस्से में पूरी मर्जी तेरी
मेरे हिस्से में सिर्फ इजाज़त ही क्यों
तुम्हें नहीं लताता ये जायज नही
तेरे हिस्से में सिर्फ तू
मेरे हिस्से से पूरी मैं भी नहीं
की धूल भी साफ कर ले
अपने अपने दायरो का हिसाब कर लें
सवाल ये हैं कि
मुझे मेरे हिर मैं जीने के लिए
तेरी इजाजत की जरूरत क्यों हैं
हर रोज तेरी हां और ना के बीच
घुटते रहने की जरूरत क्यों हैं,
ये सारे कायदे सारे बोझ मेरे हिस्से क्यों हैं
मेरा हिस्सा तेरे तंग दिल का इजाजत का मोहताज क्यों हैं जब हिस्से बराबर हैं तो दस्तूर क्यों नहीं
तू भी मेरी इजाजत की घुटन का
बाझे उठाने के लिए मजबूर क्यों नही
सवाल बहुत है
पर असली सवाल तो यही है
मेरे हिस्से में जवाब तेरे हिस्से में सवाल क्यों नहीं.......
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