Thursday, September 1, 2022

तब खुद को हम कैसे समझाएं

जब मन खुद में उलझता जाए,
जब राह में पत्थर चुभते जाए,
जब कोशिशें हर नाकाम लगे, 
जब खुद ही पर सवाल उठे, 
जब चाह तो हो तो कुछ कर ना पाए,
 जब राह दिखे पर चल ना पाए,
 तब खुद को हम कैसे समझाएं। 
जब दिल में शोर जुबां खामोश रहें, 
जब सही की खबर हो गलत करते रहें,
 जब धुंधलासा खुद का अक्स मिले, 
जब मरहम पास हो पर चोट न दिखे, 
जब सब समझ के भी हम अनजान रहे, 
जब पास हो सबकुछ फिर भी तलाश रहे,
 जब हाथ कोई सुकून ना पाएं, 
जब सो चुके हम पर नींद न आए, 
तब खुद को हम कैसे समझाएं। 
तब खुद को हम कैसे समझाएं।

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